मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या चर्च अपने अपने धर्म का हिस्सा हैं या नहीं, क्या ये अदालत से तय हो सकता है. इसी बात को लेकर संविधान विशेषज्ञ और वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ के सामने अपील की थी कि 1994 में जो सुप्रीम कोर्ट का फैसला था उस पर पुनर्विचार किया जाए और इसके लिए उनकी अपील को बड़ी बेंच यानी 9 जजों की बेंच में भेजा जाए. 1994 में डॉ. इस्माइल फारुकी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया का केस गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ के सामने था.
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