भीमा कोरेगांव के मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने जिन पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर नक्सलवाद से जुड़े होने का आरोप लगाया- वो अब भी अपने ही घर में नज़रबंद रहेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले की एसआईटी जांच की ज़रूरत नहीं है और इन्हें अगली राहत के लिए निचली अदालत में जाना होगा. हालांकि ये फ़ैसला भी 2-1 के बहुमत से हुआ. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का मानना था कि मामले में एसआईटी की ज़रूरत है.
from Videos https://ift.tt/2OiRRYJ
No comments:
Post a Comment