मध्यप्रदेश के डेढ़ लाख से ज्यादा नर्सिंग स्टूडेंट्स के भविष्य पर संकट मंडरा रहा है. हालत ये है कि जिन स्टूडेंट्स को अब तक डिग्री मिल जानी चाहिए थी, वे पहले साल की परीक्षा का ही इंतजार कर रहे हैं. दरअसल, कोरोना काल में जब इन कागजी कॉलेजों से बेड अस्पताल मांगे गए तो 34 कॉलेजों ने खुद कहा कि उनकी मान्यता निरस्त किया जाए. सबसे पहले ग्वालियर में 70 बंद हुए जो अपात्र थे. ऐसे में सवाल ये है कि कॉलेज बनने के बाद स्थानीय शासन, प्रशासन से लेकर, नर्सिंग काउंसिल निरीक्षण कराता है, सबकुछ सत्यापित करता है फिर मेडिकल यूनिवर्सिटी में आवेदन करते हैं फिर वहां से मान्यता मिलती है, ऐसे में इतना बड़ा फर्जीवाड़ा कैसे हुआ.
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