हमारे देश में शिक्षा की हालत खराब है मगर शिक्षा पर चर्चा नहीं है. दसवीं और बारहवीं के इम्तहान शुरू होने वाले हैं तो परीक्षा पर चर्चा है. प्रधानमंत्री ने बोर्ड के इम्तहान देने जा रहे छात्रों से परीक्षा पर चर्चा की. हमें समझना चाहिए कि बोर्ड की परीक्षा का तनाव क्यों है. उसकी वजहें क्या हैं. क्यों 96 से 99 प्रतिशत नंबर लाने की होड़ मची है. प्रधानमंत्री ने परीक्षा पर चर्चा के तहत असफल होने पर तनाव लेने से मना किया. मां बाप से कहा कि असफलता पर तंज न कसें और सफलता के लिए दबाव न डालें. संभावनाएं तलाशें मगर उन पर अपने सपने न थोपें. ये सारी अच्छी बातें हैं मगर शिक्षा और परीक्षा की हालत के हिसाब से देखेंगे तो इन बातों का बहुत मतलब नहीं रह जाता है. मैं क्यों कह रहा हूं कि सिर्फ बोर्ड की परीक्षा पर फोकस अच्छा होते हुए भी बहुत अच्छा नहीं था. उसका कारण है कि प्रथम की रिपोर्ट. सरकारी स्कूलों के बच्चे 8वीं पहुंच कर भी पांचवीं की किताब नहीं पढ़ पाते हैं. यह कमीं मां बाप की अपेक्षा से नहीं आई है. बल्कि सिस्टम की खराबी से आई है. क्या प्रधानमंत्री ने उन सरकारी बच्चों से कुछ कहा है. या सीबीएसई के प्राइवेट स्कूलों के बच्चों से संबोधन कर एक खास तबके को अच्छा संदेश भर दिया है.
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