ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि ट्रांसजेंडरों की स्वीकृति होती है, लेकिन यह स्वीकृति कई बार मुझे सांकेतिक लगती है. संसद ने ट्रांसजेंडर अधिनियम पारित किया है. एक ट्रांसजेंडर नीति है, लेकिन दिक्कत इतनी अधिक है कि आज तक लोग सड़कों पर, सिग्नलों पर भीख मांगते हैं, या अपने शरीर को बेचते हैं, उन्हें कलंकित किया जाता है. यहां तक कि लक्ष्मी को भी बदनाम किया जाता है. समावेश का पूरा मुद्दा एक बहुत बड़ा प्रश्नचिह्न है. कभी-कभी मुझे लगता है कि हमें प्रतीकात्मक नहीं बल्कि यथार्थवादी होना चाहिए.
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