मैं भारत के अनौपचारिक कार्यबल को स्वास्थ्य और समृद्धि के बीच एक कड़ी के रूप में देखती हूं. इसमें कुल श्रमिकों में से 90% यानी 41.5 करोड़ अनौपचारिक हैं. वे रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य सेवा, परिवहन, कचरा प्रबंधन सेवाएं और बहुत कुछ हमें देते हैं. उनका मुख्य प्रयास उनका शारीरिक श्रम है. अगर वे बीमार पड़ जाते हैं, तो उनकी कमाई तुरंत बंद हो जाती है.
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