2014 लोकसभा चुनावों की विराट जीत के बाद बीजेपी के अश्वमेध का घोड़ा सबसे पहले दिल्ली में रोका गया था. बनारस की लोकसभा सीट पर प्रधानमंत्री मोदी के हाथों पिटे अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में 67 सीटें जीत ली थीं. तब आम आदमी पार्टी को कांग्रेस बीजेपी की नंबर 2 टीम बताती थी और बीजेपी कांग्रेस की, और केजरीवाल जो थे वो हर किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे थे, हर किसी को जेल भेजने पर तुले थे. लेकिन पांच साल होने को हैं- राजनीति की यमुना में बहुत सारा पानी बह गया है, बहुत सारी नई गंदगी घुल गई है. कभी बिल्कुल करेंट मारते तार की तरह दिखने वाले केजरीवाल अब ठंडे हो चुके हैं और एक मंजे हुए नेता की तरह बात कर रहे हैं. उन्हें समझ में आ रहा है कि दफ़्तरी भ्रष्टाचार से कहीं ज़्यादा बड़ा दानव वह सांप्रदायिकता है जो देश को बांट रही है.
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